समय की मांग

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छोटे थे तो नाखुन भी कोमल थे बड़े क्या हुए बाल भी नुकीले हो गए  ग्लास भी अपने से ना भरने वाले जिम्मेदारी के बोझ से फुर्तीले हो गए| अभी नादां ...

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